केवल वर्तमान में ही नहीं, बल्कि हमेशा से सही और सत्य बोलने वालों को सूली पर चढाया जाता रहा है| ऐसे लोगों का तिरस्कार किया जाता रहा है| इसके उपरान्त भी सत्य या सही बोलने वालों ने दुनिया की परवाह नहीं की और अपनी बात अपने तरीके से कहते रहे| जिसे सदियों बाद भी दुनिया याद करती है|
जबकि आज के समय में ऐसे तर्क दिये जा रहे हैं कि संपूर्ण सत्य को ना कहा जा सकता है और ना ही लिखा या प्रस्तुत किया जा सकता! कुछ बातें गोपनीय भी रखनी होती हैं! उदाहरण के लिये पति-पत्नी के अन्तरंग संबंधों या उनकी आपसी गोपनीयता अपने छोटे बच्चे को या परिजनों या अन्य मित्रों को भी नहीं बतलाया जा सकता| इसी प्रकार से धन-जेवर आदि कहॉं रखे हैं, इस बात को भी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता! क्योंकि ऐसा करने से दुरुपयोग की संभावना बढ जाती है| पति-पत्नी के सम्बन्धों में बिखराव की सम्भावना बढ जाती है| जैसे सोने के जेवर को 24 कैरेट खरे सोने मे नहीं बनाये जा सकते| जेवर बनाने के लिये सोने में 1 या 2 कैरेट की मिलावट करनी ज़रूरी है| अन्यथा जेवर के जल्दी टूटने की संभावना बढ जाती है|
आज के लोगों का कहना है कि इसी प्रकार से 2-4 फीसदी मिलावट, असत्य या गलत बात को अनदेखा कर देना चाहिए! क्योंकि ऐसा करना आज के समय में निजी जीवन, परिवार, समाज, सरकार और अन्तत: देश के हित में है| इस प्रकार की कुतर्क पूर्ण सोच को तर्कसम्मत सोच सिद्ध करके सही ठहराने वालों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि के कारण मिलावट का अनुपात आज उल्टा हो चुका है| असल तो 2-4 फीसदी रह गया है और नकली ही नकली का चलन बढ गया है| समाज में इस प्रकार के तर्कों का प्रभाव होता है और समाज विकृत तथा नकारात्मक दिशा में गति करने लगता है| जिसके चलते पंडित सुखराम से चलकर कहानी ए. राजा तक पहुंच जाती है| ऐसे में आज फिर से यह सवाल पूछा जाना जरूरी है कि क्या समाज को छोटी-छोटी बातों को अनदेखी कर देना चाहिये?
हॉं इस बात में कोई दो राय नहीं है कि निजी जीवन की अन्तरंगता या अपने जेवरों को या अन्य परिश्रम से कमाई गयी सम्पत्ति को गोपनीय रूप से रखना जरूरी है| जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 में संरक्षण भी प्रदान किया गया है, लेकिन व्यक्तिगत उदाहरणों को देश और समाज की बाहरी कानूनी व्यवस्था की गोपनीयता या भ्रष्ट लोगों की गलत बातों से नहीं जोड़ा जाना चाहिये| अन्यथा तो सारी की सारी चीजें उलट-पुलट हो जायेंगी| फिर तो काले धन को भी गोपनीयता की ओट में कभी उजागर नहीं होने दिया जायेगा!
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
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